tag:blogger.com,1999:blog-8168502927253686382024-03-13T08:55:02.581-07:00नव किरण नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-59117584038523210852020-03-21T20:01:00.001-07:002020-03-21T20:01:55.776-07:00महामारी के बीच जल दिवस पर ही जल कमी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
<span style="text-align: left;">कोरोना विषाणु के संकट से भारत ही नहीं पूरी दुनिया इस संकट से निपटने के लिए मजबूर हो गयी। साथ ही वहीं इस महामारी से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने दिन बारंबार साबुन से हाथ धोने के कड़े संकेत दिए, मगर समस्या तो यह है कि हाथ धोने के लिए जल की जरूरत पड़ना भी स्वाभाविक है। परन्तु यह सब तब हो रहा है जब आज पूरा विश्व 'जल दिवस' पर ही जल की कमी महसूस कर रहा हैं, क्योंकि दुनिया के लगभग 3 अरब लोगों के पास बारम्बार हाथ धोने हेतु पानी की उपलब्धता ही नहीं हैं। </span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgDkLGGoI1trMbM9S0KsrTBaE7sYJJwRbqsdRtyonfid0k2fJcy1wq4FQD3MceT6-5M74dc5-0cGm1EU_1QZltuTAhI019iVY2fNAa2bewXvbU6HGIKh0ftD8Fexp8J0G5ao-30e2HvUqQ6/s1600/images+%25283%2529.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="332" data-original-width="500" height="212" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgDkLGGoI1trMbM9S0KsrTBaE7sYJJwRbqsdRtyonfid0k2fJcy1wq4FQD3MceT6-5M74dc5-0cGm1EU_1QZltuTAhI019iVY2fNAa2bewXvbU6HGIKh0ftD8Fexp8J0G5ao-30e2HvUqQ6/s320/images+%25283%2529.jpeg" width="320" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
साथ ही भारत के लिए सबसे गम्भीर समस्या तो यह है कि भारत की बस्तियों के निवासियों को हाथ धोने के लिए तो छोड़िये, यहां तो पीने के पानी लिए ही संघर्ष करना पड़ रहा हैं। इसीलिए आज भी हम पूर्ण रूप से इस महामारी से निपटने के लिए तैयार नहीं है। दूसरी तरफ जनता कर्फ्यू भी इससे निपटने के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, मगर इससे भी आवश्यक सरकार को जनता हेतु महामारी से निपटने के लिए तमाम सुविधाओं को भी प्राप्त करवाना होगा, जिससे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग मुख्य तौर से वंचित हैं।</div>
<div style="text-align: justify;">
#WorldWaterDay2020</div>
<div style="text-align: justify;">
#WorldWaterDay</div>
<div style="text-align: justify;">
#CoronaUpdatesInIndia</div>
<div style="text-align: justify;">
#जनता_कर्फ्यू</div>
</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-85871748312449085352020-01-14T02:53:00.000-08:002020-01-14T02:53:13.130-08:00दिल्ली चुनाव 2020:एक नजर <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 की तारीखों का एलान चुनाव आयोग द्वारा कर दिया गया हैं।<b> 2689</b> मतदान केंद्र में<b> 90 हज़ार</b> कर्मचारियों की निगरानी में लगभग <b>1.46 करोड़</b> मतदाता 8 फरवरी 2020 को मतदान कर सकेंगे। परन्तु रोचक तथ्य ये है कि दिल्ली में 2015 में प्रचंड ऐतिहासिक जीत यानी कि 70 में 67 सीटें जितने वाली आम आदमी पार्टी पुनः प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब होगी? या केंद्र की पूर्ण बहुमत वाली, दिल्ली की 7 लोकसभाओं में से 7 पर जीत हासिल करने वाली तथा नगर निगम में अपनी सरकार बनाने वाली भाजपा सरकार दिल्ली की 'आप' पार्टी को इस बार मात देने में कामयाब होगी? या फिर हाल ही में महारष्ट्र व झारखण्ड में सत्ता की सहयोगी कांग्रेस पार्टी इस बार दिल्ली में अपना कद बचाने में सफलता प्राप्त कर पाएगी। दरअसल, दिल्ली में मुकाबला भले ही त्रिकोणीय माना जा रहा हो, ओपिनियन पोल के अनुसार दिल्ली में आप पार्टी को मात्र भाजपा भले ही चुनौती देने के लिए तैयार है, मगर दिल्ली में पोल के अनुसार लोकप्रिय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही हैं। खैर, इसका मुख्य कारण यह भी है कि भाजपा ने अभी तक मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं दिखाया और हो सकता है कि बिना मुख्यमंत्री के नाम पर ही चुनाव लड़ें तथा कांग्रेस तो इस चुनाव में मात्र अपना कद बचाने के लिए ही चुनाव लड़ रहीं है क्योंकि दिल्ली के दिल में कांग्रेस इस वक्त दूरदराज ही है। साथ ही यह सब मनगढ़ंत 8 फरवरी को समस्त दिल्लीवासी तिजोरी में बंद कर देंगे तथा यह सब 11 फरवरी यानी मतगणना दिवस पर साफ हो जाएगा कि आखिर हिंदुस्तान के दिल दिल्ली में कौन सी पार्टी सत्ता प्राप्त करेगी। साथ ही रोचक यह रहेगा कि सत्ता प्राप्त करने वाला राजनैतिक दल जन सेवा या जन विरोधी सेवा करने में सफलता प्राप्त कर सकेगा?</div>
</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0Delhi, India28.7040592 77.1024901999999228.2581432 76.457043199999916 29.1499752 77.747937199999924tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-84980281976741187902019-02-25T06:26:00.000-08:002019-02-25T06:38:39.575-08:00ब्रिटिश टेलिकम्युनिकेशन क्या है?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div dir="ltr" style="text-align: justify;">
ब्रिटिश टेलिकम्युनिकेशन जोकि विशेषतः बीटी के नाम से जाना जाता है। ब्रिटिश टेलिकम्युनिकेशन (बीटी) यूनाइटेड किंगडम में स्थित है। ब्रिटिश टेलिकम्युनिकेशन कंपनी की स्थापना वर्ष 1837 ई. में हुई थी। इसका मुख्यालय लंदन, यूनाइटेड किंगडम में है। ब्रिटिश टेलिकम्युनिकेशन कम्पनी वैश्विक स्तर पर संचार सेवाएं प्रदान करती है। बीटी यूनाइटेड किंगडम में सबसे बड़ा संचार सेवा प्रदाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य है कि यूनाइटेड किंगडम तथा यूरोप में दूरसंचार के विकास पर आधारित महत्वपूर्ण कार्य करना, ग्राहकों के अनुभव को बढ़ाना तथा बाजार के समय पर उत्पाद की मांग तेज़ करना है। इस संस्था ने एक समय विकास कार्यों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए वैश्विक दूरसंचार नेटवर्क विकसित करने का प्रयास किया है। ब्रिटिश टेलिकम्युनिकेशन अनुसंधान तथा विकास पर अपने कारोबार का 2 प्रतिशत हिस्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में खर्च किए है। इससे स्पष्ट है कि बीटी ने सर्वाधिक तवज्जों प्रौद्योगिकी क्षेत्र को दी है। वर्ष 1981 ई. में ब्रिटिश टेलिकम्युनिकेशन निजीकृत संस्था बन गयी थी। वर्ष 1984 ई. में ब्रिटिश टेलिकम्युनिकेशन एक सार्वजनिक संस्था बन गयी थी। इस संस्था में वर्तमान में 1,37,000 कर्मचारी कार्यरत हैं। ब्रिटिश टेलिकम्युनिकेशन के स्टॉक एक्सचेंजेस वैश्विक स्तर पर लंदन, न्यूयॉर्क, टोरंटो तथा टोक्यो में स्थित हैं।</div>
<div dir="ltr" style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div dir="ltr" style="text-align: justify;">
वर्तमान में बीटी के निदेशक सिमोन जोनाथन लौथ है। वर्तमान समय में, बीटी एक बहुआयामी संगठन बन गया है जो नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अहम कार्ये कर रही है। बीटी वर्तमान में विश्व के 170 से अधिक राष्ट्रों में सक्रिय है तथा इसका लगभग एक तिहाई राजस्व, वैश्विक सेवा प्रभाग से प्राप्त होता है। वर्तमान समय में बीटी विश्व की सबसे बड़ी संचार कंपनियों में से एक है।</div>
<div dir="ltr" style="text-align: justify;">
<br /></div>
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</div>
<div style="text-align: justify;">
सन्दर्भ-</div>
<div style="text-align: justify;">
1. रेफरेंस फ़ॉर बिज़नेस पोर्टल : एक्सेस।</div>
<div style="text-align: justify;">
2. बीटी संस्था का अवलोकन : ब्लूमबर्ग।</div>
<div style="text-align: justify;">
3. दी मिशन स्टेटमेन्ट ऑफ बीटी : यूके एस्से।</div>
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<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
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नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-77067606598608648362019-02-16T21:05:00.002-08:002019-02-17T19:04:27.077-08:00क्यों आवश्यक है बौद्धिक संपदा, आइये जानते है..<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
बौद्धिक संपदा को अंग्रेजी में Intellectual Property के नाम से जाना जाता है। Intellectual Property को ही हिंदी भाषा में बौद्धिक संपदा कहते है। बौद्धिक संपदा का शाब्दिक अर्थ है कि बौद्धिक अर्थात् 'बुद्धि के योग्य' और सम्पदा अर्थात् 'सम्पत्ति' यानि मानव मस्तिष्क से किया गया कार्य या जिस अन्तर्वस्तु पर व्यक्ति या संस्था द्वारा कब्जा किया हो, उसे बौद्धिक संपदा कहते है। बौद्धिक संपदा से अभिप्राय है कि नैतिक और वाणिज्यिक रूप से मूल्यवान बौद्धिक सृजन। </div>
</div>
<div dir="ltr">
</div>
<ul style="text-align: left;">
<li style="text-align: justify;"><b>जेरेमी फिलिप्स के अनुसार -</b> "बौद्धिक सम्पदा से अभिप्राय ऐसी वस्तुओं से है जो व्यक्ति द्वारा बुद्धि के प्रयोग से उत्पन्न होती है। (इन्ट्रोडक्शन टू इन्टेलेक्च्ुअल प्रापर्टी लॉ <u>पुस्तक</u> संस्करण 1986)।</li>
</ul>
<div style="text-align: justify;">
'बौद्धिक संपदा' का तात्पर्य किसी व्यक्ति अथवा संस्था की अन्तर्वस्तु, मानव-मस्तिष्क के उत्पाद से है। ये उत्पाद किसी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा कृति, संगीत, कला, खोज अथवा प्ररचना आदि किसी भी प्रकार का हो सकता है जो उस व्यक्ति अथवा संस्था की बौद्धिक संपदा या बौद्धिक सम्पत्ति है। बौद्धिक संपदा मानव-मस्तिष्क की रचनाओं का एक सन्दर्भ है। बौद्धिक संपदा के तहत किसी रचना का आविष्कार, साहित्यिक कार्य, कलात्मक कार्य , प्ररचना, वाणिज्य में इस्तेमाल प्रतीक आदि आते है। दरअसल, बौद्धिक सम्पदा बौद्धिक श्रम से उत्पन्न होने वाला उत्पाद है। बौद्धिक संपदा के प्रमुख विषय लेखकों की रचनाएं, निर्माणकर्ताओं के निर्माण और अविष्कारकर्ताओं के आविष्कार माने जाते है।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div dir="ltr">
<div dir="ltr">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgz_a6hIuF4rEPUxOX1RM8lBtVce1T5rW3VYO1J8ugTDMIf20oqwajJuJwYaqaO1jPMdaBXOPZEitHdvP98vDrYGFay6G84sKdvRAvzNR2pwOLjG0yNZHh_OPEq-MFZnzJGYWM-XZg6-Nt_/s1600/IMG_20190217_102954.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1600" data-original-width="1200" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgz_a6hIuF4rEPUxOX1RM8lBtVce1T5rW3VYO1J8ugTDMIf20oqwajJuJwYaqaO1jPMdaBXOPZEitHdvP98vDrYGFay6G84sKdvRAvzNR2pwOLjG0yNZHh_OPEq-MFZnzJGYWM-XZg6-Nt_/s320/IMG_20190217_102954.jpg" width="240" /></a></div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
<b><span style="font-size: large;">बौद्धिक संपदा की दो प्रमुख श्रेणियां इस प्रकार है - </span></b></div>
</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
1. प्रकाशनाधिकार एवं प्रतिवेशी अधिकार - इसके तहत साहित्यिक, कलात्मक, संगीतात्मक, छायाचित्रात्मक एवं दृश्य-श्रवणात्मक कार्य शामिल हैं।</div>
<div style="text-align: justify;">
2. औद्योगिक संपदा - मानवीय उद्यम के सभी क्षेत्रों में किये गये आविष्कार, वैज्ञानिक खोजें, औद्योगिक डिजाइन, ट्रेडमार्क, सर्विस मार्क तथा वाणिज्यिक नाम व पदनाम शामिल हैं।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
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<div style="text-align: justify;">
<b><span style="font-size: x-large;"><u>बौद्धिक संपदा के प्रमुख अधिकार</u></span></b></div>
</div>
<div dir="ltr">
<br />
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-weight: 700;"><br /></span></div>
<div style="text-align: justify;">
अधिकार का अर्थ होता है, हक या प्रभुत्व। बौद्धिक सर्जनात्मक परिप्रेक्ष्य में व्यक्तियों को दिए गए प्रभुत्व या अधिकार को, बौद्धिक संपदा अधिकार कहते है। बौद्धिक संपदा अधिकार देने का मुख्य उद्देश्य है मानवीय बौद्धिक सर्जनशीलता को प्रोत्साहित करना है बौद्धिक संपदा अधिकार प्रदान किये जाने का महत्व केवल इतना नहीं है कि बौद्धिक रचनाओं पर सदैव मात्र लेखक का ही अधिकार होगा। बल्कि, "बौद्धिक संपदा अधिकार एक निश्चित समयावधि तथा निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र के मद्देनजर प्रदान किये जाते है।</div>
<br />
<div style="text-align: justify;">
बौद्धिक संपदा का क्षेत्र अत्यंत व्यापक होने के कारण अधिकारों एवं नियमों की व्यवस्था की गई है।</div>
</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
भारत सरकार द्वारा 12 मई, 2016 को ‘राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति’ को स्वीकृति प्रदान की गई।2 इसका उद्देश्य है कि भारतीयों को रचनात्मकता में विशेष प्रोत्साहन देना। साथ ही उज्ज्वल भविष्य के लिए इस नीति का प्रयोग सम्भव <u>होगा</u>। इस नीति की मुख्य बातें है- भरतीय विकास के लिए ज्ञान होना आवश्यक है, पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य सुविधा को बढ़ावा देना। बौद्धिक अधिकार नीति 'रचनात्मक भारत, अभिनव भारत' के लिए कार्य करती है।</div>
</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
बौद्धिक संपदा के तहत भारत मे सर्वप्रथम वर्ष 1911 में 'भारतीय संशोधन और डिज़ाइन अधिनियम' बना, वर्ष 1970 में 'एक्सव अधिनियम' को पारित किया गया। 'संशोधन अधिनियम' के नाम से वर्ष 1999, 2002, 2005 को कानून पारित किए गए। बौद्धिक सृजनात्मक के आधार पर बौद्धिक संपदा अधिकारों को निम्न वर्गों में बांटा गया है:- संशोधन, व्यापार चिन्ह, कॉपीराइट, भौगोलिक उपदर्शन।</div>
</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
<b><u>सन्दर्भ-ग्रंथ:-</u></b></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
1. बौद्धिक सम्पदा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, बौद्धिक संपदा ब्लॉग, अमर मीना।</div>
<div style="text-align: justify;">
2. भारत के बौद्धिक संपदा अधिकार: चुनौतियाँ एवं समाधान, दृष्टि।</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
3. भारत के बौद्धिक संपदा अधिकार: चुनौतियाँ एवं समाधान, दृष्टि IAS.</div>
<div style="text-align: justify;">
4. बौद्धिक संपदा अधिकार नीति : ‘रचनात्मक भारत; अभिनव भारत’।</div>
</div>
<div style="text-align: justify;">
5. उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार।<br />
<div style="text-align: justify;">
6. बौद्धिक संपदा अधिकार नीति : ‘रचनात्मक भारत; अभिनव भारत’, दृष्टि।</div>
<div style="text-align: justify;">
7. व्हाट इस इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी।</div>
</div>
</div>
</div>
</div>
</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-12058393210610166222019-02-11T10:00:00.000-08:002019-02-11T10:00:09.554-08:00बिटकॉइन पर हो सरकारी निगरानी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बिटकॉइन में निवेश करना काफी खतरनाक साबित हो रहा है क्योंकि यह संगणक नेटवर्किंग पर आधारित होता है ऐसे में हैकर सिस्टम हैक करके आपके बिटकॉइन आसानी से चुरा सकता हैं। साथ ही इसकी शिकायत सुनने के लिए कोई भी अधिकारी या कर्मचारी का प्रावधान नहीं होता है या इसे किसी सरकारी बैंकों द्वारा नहीं चलाया जाता है। बिटकॉइन में कीमत का अत्यधिक उतार-चढ़ाव होता है और न ही इसका विश्व में कोई नियम तैयार किया गया है। इसमें फर्जीवाड़ा भी ज्यादा है एक बार पासवर्ड भूलने पर पुनः पासवार्ड नहीं मिलेगा। बिटकॉइन के बढ़ते मूल्यों को देखते हुए लोग बिटकॉइन में निवेश तो कर लेते हैं, परन्तु यह लचीलापन आम लोगों को महँगा पड़ जाता है। बिटकॉइन से रातोंरात अमीर बनने वाला व्यक्ति, किसी भी पूंजीपति या आम व्यक्ति की जिंदगी भर की कमाई को आकस्मिक बर्बाद कर सकता है।<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhvSttuZVXPTj-PKkE38AyiGcfTLQbN3jhldDbEBUghn4ex8HhyphenhyphenRR-FOyr6D1xigfC-bfzSdzvjU5_A9Z65v1SbT6WQz0AFt3dozRROtxk9kvEBFxTOxt-1XxEZWpXP80kctyed_W9CM1k1/s1600/IMG_20190211_231909.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="274" data-original-width="354" height="247" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhvSttuZVXPTj-PKkE38AyiGcfTLQbN3jhldDbEBUghn4ex8HhyphenhyphenRR-FOyr6D1xigfC-bfzSdzvjU5_A9Z65v1SbT6WQz0AFt3dozRROtxk9kvEBFxTOxt-1XxEZWpXP80kctyed_W9CM1k1/s320/IMG_20190211_231909.jpg" width="320" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
बिटकॉइन, सरकार को एक नियामक प्रशासन-व्यवस्था के तहत लेना चाहिए ताकि ये भरोसेमंद बन सकें। इसका उपयोग बिना भय के किया जा सकें। जैसे कि कई राष्ट्रों ने बिटकॉइन को मान्यता तक नही दी हैं इसी प्रकार भारत सरकार को भी इस पर विचार करना चाहिए। बिटकॉइन नियामक न होने के कारण खतरा साबित करता है क्योंकि इसे वैश्विक स्तर पर निजी लोग संचालित करते हैं इसलिए सरकार का नियंत्रण होना आवश्यक हैं ताकि आम लोगों के लिए उपयोगी हो सके।</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-72921342475407662862019-02-10T08:08:00.000-08:002019-02-10T21:27:54.104-08:00स्वच्छता की स्वयं से हो शुरुआत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
प्रत्येक वर्ष के गणतंत्र व स्वंतन्त्रता दिवस के अवसर पर देश की अज़ादी के वर्ष गिनते है। हमें पता है कि आज यह जो भारत हम सभी के समक्ष है यह "गांधी का भारत" नहीं है, क्योंकि ये "गांधी के सपनों का भारत" हैं। महात्मा गांधी का ही सपना था "स्वच्छ भारत" हो। जिसे आधुनिक भारत के रूप में परिभाषित करते है। महात्मा गांधी, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता से पहले ही स्वच्छता की बात उठायी थी। साथ ही स्वच्छता को प्राथमिकता दी थी।<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjaLiAqQDaASL_e-jZPGcGEd7NS-p9WkNFoGiUD4b2HRlmtVTdhhvH8_842clPyePU-xzeZ4dHZ63iznneyDFeILsEfqoCPLd5B3LL9yySuMRkeNqqF2qx5jPq9ks2mdKZp4pES_BRHR2K4/s1600/mahatma-gandhi-international-swachhta-sammelan-in-delhi-from-sep-29_730X365.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="365" data-original-width="337" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjaLiAqQDaASL_e-jZPGcGEd7NS-p9WkNFoGiUD4b2HRlmtVTdhhvH8_842clPyePU-xzeZ4dHZ63iznneyDFeILsEfqoCPLd5B3LL9yySuMRkeNqqF2qx5jPq9ks2mdKZp4pES_BRHR2K4/s320/mahatma-gandhi-international-swachhta-sammelan-in-delhi-from-sep-29_730X365.jpg" width="295" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
भारत वैदिक परम्पराओं और अध्यात्म की दुनिया में विश्वगुरू रहा है, जिस प्रकार स्वच्छ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है, ठीक उसी प्रकार स्वच्छ देश में स्वस्थ नागरिक निवास करता है। स्वच्छ भारत अभियान, स्वच्छ्ता ही सेवा आदि गतिविधियों को संचालित करने से सफाई होगी? क्या प्रशासन या किसी समाजसेवी संस्था द्वारा प्रेरित करने पर ही सफाई होगी? क्या आप अपने राष्ट्र को अपना घर जैसा नहीं समझते? क्यों? जहां इच्छा की वही गन्दी कर दी? क्या जब तक परिवार का मुखिया सफाई के लिए नहीं बोलेगा, सफाई नहीं होगी? वहाँ सफाई होगी, क्योंकि वो अपना परिवार है। क्यों नहीं हम राष्ट्र को अपना परिवार मान कर स्वच्छता की शपथ लेते। मात्र हमें मनोवृत्ति में परिवर्तन करने की आवश्यकता है।<br />
स्वच्छता का दायित्व देशवासियों में स्वयं होना चाहिए। परन्तु यह हमारा दुर्भाग्य है कि आज़ादी से पहले व आज़ादी के बाद भी नागरिकों को राष्ट्र के महापुरुषों व प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छ्ता के लिए प्रेरित किया जाता रहा हैं। हम जानते है कि स्वच्छता और आधुनिकता एक-दूसरे के पूरक है, क्योंकि बिना स्वच्छता के आधुनिकता की कल्पना करना जटिल है। इसी कारण सभी भारतीयों को स्वच्छता का मूलमंत्र समझना होगा तभी भारत राष्ट्र "स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत" होगा।<br />
<br />
कदम से कदम मिलाना है,<br />
भारत को स्वच्छ बनाना है।<br />
<br />
लेख सहयोगी एवं आभार - श्री हितेश मिश्रा</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-20519366374020631022019-02-03T10:32:00.000-08:002019-02-07T04:45:54.081-08:00प्यार में ज्यादा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
फुरसत में हो तो प्यार ज्यादा,<br />
व्यस्त हो तो दुश्मन ज्यादा।<br />
मिलते हो तो प्यार है ज्यादा<br />
मिलने को टालते हो तो,<br />
स्वार्थी और अहंकारी हो ज्यादा।<br />
<br />
'हां' में 'हां' करते हो तो,<br />
प्यार है ज्यादा।<br />
'हां' में 'न' की तो,<br />
तुमने प्यार नहीं किया ज्यादा।<br />
'हां' में 'न' करते हो तो<br />
पराया भी हो ज्यादा।<br />
<br />
मिलने को बरकरार हो ज्यादा,<br />
तो उसका प्यार है ज्यादा।<br />
मिलने को 'मना' किया<br />
तो दुश्मन हो तुम ज्यादा<br />
<br />
विवाह करना हो तो,<br />
भविष्य देखना होता हैं ज्यादा।<br />
वर्तमान में बात भविष्य पर हुई,<br />
तो स्वार्थी हो तुम ज्यादा।<br />
फुरसर में हो तो प्यार है ज्यादा,<br />
व्यस्त हो तो दुश्मन हो ज्यादा।<br />
<br />
प्रस्तुत कविता अमर उजाला के मेरे अल्फाज़(काव्य संग्रह) में 07/02/2019 को प्रकाशित है.. आप इस लिंक पर भी पढ़ सकते है..💐🙏<br />
(https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/kashish-verma-pyaar-mein-jyada-1549218593118)<br />
<br /></div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-9189194459912639732019-02-03T02:55:00.000-08:002019-02-03T10:38:26.195-08:00हाजीपुर ट्रैन हादसे के बाद तमाम प्रश्न?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बिहार के जोगबनी से आनंद विहार(दिल्ली) स्टेशन तक चलने वाली सीमांचल एक्सप्रेस के पटरी में दरार होने के कारण, आधी रात को हाजीपुर में लगभग 10 डिब्बे पटरी से उतर गए। इस हादसे में मृतकों की संख्या 7 बताई जा रही है। वही लगभग 25 लोग गंभीर रूप से घायल है। ये दोनों आँकड़ें बढ़ सकते है। प्रत्येक ट्रैन हादसा होने के बाद रेलवे द्वारा आगे रेल हादसे न होने के आश्वासन दिए जाते है। इस हादसे के पीछे साजिश बताई जा रही है। आखिर ये साजिश है तो ये साजिश रची कैसे गयी? इसका जिम्मेदार कौन? यदि ये रेलवे की लापरवाही है तो कितनी बड़ी लापरवाही कैसे? आखिर कबतक होते रहेंगे ट्रैन हादसें? क्या मृतकों के परिजनों को मुआवजा देकर, क्या उनकी घर की खुशहाली वापसी आ सकती है? ऐसी बड़ी लापरवाही हर ट्रैन हादसों में होती है मगर इस हादसों को राजनीति का मुद्दा बनाकर छोड़ दिया जाता है। ऐसे मुद्दे मात्र राजीनीति में ही बने रहते है। 2-4 दिन बाद इस खबर की कोई जानकारी नहीं मिल पाती।<br />
<br />
सदैव ट्रैन हादसों के बाद जांच की जाती है। बिना हादसे के क्यों नहीं जांच होती? क्या रेलवे जांच प्रक्रिया शुरू करने के लिए ट्रेन हादसे का इंतजार करता है? रेलवे विभाग से अनुरोध है कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख़्त कदम उठाए जाने चाहिए ताकि तमाम लोगों की जान बच सके और बड़े व छोटे हर तरह के ट्रैन हादसों पर रोक लगाई जा सकें।<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEju9OMHyozf2gowHCAHGTgVZe1eqcZJQgmOUJDOUHSpPoo8cOVCYqgYVSD91Ngd_ehjup1GFw_-CSBEmxVkQH0NC3RAJFSMjVpHyxi4zwMxofLuqSCwLTi_SYkPsGzWYXWe58GvOYb9KcdT/s1600/03_02_2019-train-accident-bihar-long-shot_18915062_72218161.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="540" data-original-width="650" height="265" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEju9OMHyozf2gowHCAHGTgVZe1eqcZJQgmOUJDOUHSpPoo8cOVCYqgYVSD91Ngd_ehjup1GFw_-CSBEmxVkQH0NC3RAJFSMjVpHyxi4zwMxofLuqSCwLTi_SYkPsGzWYXWe58GvOYb9KcdT/s320/03_02_2019-train-accident-bihar-long-shot_18915062_72218161.jpg" width="320" /></a></div>
<br /></div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-30657741978419954492019-01-25T19:08:00.002-08:002019-01-25T19:42:49.454-08:00गणतंत्र दिवस<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
अंग्रेजों के अत्याचार झेलने के बाद भी हमारे आजादी के शेर आजादी के लिए लड़ते और संघर्ष करते रहे। ब्रिटिश सरकार की पाबंदियों से परेशान स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने सन 1930 को इसी दिन 26 जनवरी को रावी नदी के निकट तिरंगा लहराया साथ ही यह घोषणा कर दी कि-"आज से हम स्वतंत्र हैं। हम आज़ाद है कि हम किसी ब्रिटिश कानून को स्वीकार करे या नहीं। जब तक हम पूर्ण स्वतंत्र नहीं हो जायेंगे, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे!”<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4N5eub8BWLAlhjqrgyCMI9B9GY51Inb9BZbaP-DRjzx6kGjwFJIevpDovsqSwgaxcHhJHyymJEWcZdvjsurBppDRnpvY7FwhnvZcZ1yZ5fADYNFUf7-ufQd3ddH8zJ8xlsBsTsMO0-weJ/s1600/January-Blog-Republic-Day-768x455.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="455" data-original-width="768" height="189" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4N5eub8BWLAlhjqrgyCMI9B9GY51Inb9BZbaP-DRjzx6kGjwFJIevpDovsqSwgaxcHhJHyymJEWcZdvjsurBppDRnpvY7FwhnvZcZ1yZ5fADYNFUf7-ufQd3ddH8zJ8xlsBsTsMO0-weJ/s320/January-Blog-Republic-Day-768x455.png" width="320" /></a></div>
लंबे समय से ब्रिटिश शासन के गुलाम रहे भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी तो मिली, परंतु पुरु तरह से नहीं क्योंकि अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों या नियमों का पालन करने के लिए प्रत्येक भारतीय मजबूर था। स्वतंत्रता के लगभग ढ़ाई वर्षों बाद यानी 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान प्रभावी हुआ। भारतीय संविधान को लागू पंडित नेहरू के, ब्रिटिश सरकार के कानूनों की नाराजगी के प्रति दिए गए भाषण 26 जनवरी 1930 को ध्यान में रखकर 26 जनवरी 1950 को लागू या प्रभावी किया गया था।<br />
<br />
बात यह नहीं कि भारतीय संविधान कब लागू हुआ? बात यह है कि भारतीय संविधान होने के बावजूद भी नया संविधान रचा जा रहा है जिसका मुख्य कारण है भारतीय संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन करना या संविधान का उलटफेर करना। जैसे कि दोषी को निर्दोषी या निर्दोषी को दोषी घोषित करना, कितना उचित है??<br />
<br /></div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-31043640105993775072019-01-11T20:32:00.000-08:002019-01-11T22:01:14.796-08:00राष्ट्रीय युवा दिवस व विवेकानंद जयन्ती<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div dir="ltr">
स्वामी विवेकानंद एक संत, देशभक्त, आध्यात्मिक तथा महान भारतीय नेता थे। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी,1863 में कोलकाता में हुआ था। योग, राजगुरु तथा ज्ञानयोग जैसे ग्रंथों की रचना कर युवा जगत को नई दिशा दिखाई। इससे अनंत युगों तक जनमानस प्रभावित रहेगा, साथ ही हमें इन ग्रंथों से प्रेरणा भी मिलती रहेगी। स्वामी विवेकानंद बाल्यकाल से ही आध्यात्मिक व्यक्ति थे। वह हिंदू भारतीय शास्त्रों, संगीत, खेल तथा शारीरिक व्यायाम आदि क्रियाओं में भी रुचि रखते थे।</div>
<div dir="ltr">
सवेरा होते ही अपने लक्ष्य के लिए कार्य करना आरंभ कर दो, जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए, तब तक हार ना मानो। स्वामी जी के इस मशहूर कथन से व्यक्त है- "उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये"।<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhhJf60aHZRFtiM1o4L58FJKSQ2AsaNXuc9Hm_3Mjbv5FbslkrCARQU9bf5t3Nx0HXF-BX8TdT47ELMrUpk1xi2uYOSEZiaoLtG-wPS_pyjadl3C8HkxGzcmJI2h5O-Ls4PbWZMX35BY8oi/s1600/swami_vivekananda.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="323" data-original-width="254" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhhJf60aHZRFtiM1o4L58FJKSQ2AsaNXuc9Hm_3Mjbv5FbslkrCARQU9bf5t3Nx0HXF-BX8TdT47ELMrUpk1xi2uYOSEZiaoLtG-wPS_pyjadl3C8HkxGzcmJI2h5O-Ls4PbWZMX35BY8oi/s320/swami_vivekananda.jpg" width="250" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
</div>
स्वामी विवेकानंद की 156वीं जयंती व राष्ट्रीय युवा दिवस की अशेष शुभकामनाएं।💐💐</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-18758665610789174852018-12-05T20:17:00.000-08:002018-12-25T02:00:40.748-08:00फोकस ग्रुप डिस्कशन(केंद्रीय समूह परिचर्चा या एफजीडी)<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
किसी शोध समस्या के समाधान के लिए एक समूह पर केंद्रित होकर की गयी चर्चा, केंद्रीय समूह परिचर्चा या फोकस ग्रुप डिस्कशन कहलाता है। फोकस ग्रुप डिस्कसन मीडिया, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान के तहत प्रयोग किया जाता है। फोकस ग्रुप डिस्कशन भागीदारी शोध का एक हिस्सा है। फोकस ग्रुप डिस्कशन समस्या से सम्बंधित आंकड़े या तथ्य संकलित करने की एक तकनीक है जो गुणात्मक शोध एवं गणनात्मक शोध के अंतर्गत आती है। लेकिन गुणात्मक अध्ययन हेतु अधिक प्रयोग किया जाता है अतः इसे गुणात्मक शोध विधि भी कहते है। गुणात्मक शोध विधियों में फोकस ग्रुप डिस्कशन(एफजीडी) विधि सबसे लोकप्रिय विधि है। एफजीडी बाजार शोध (मार्केट रिसर्च) में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली एक विधि है। एफजीडी में किसी उत्पाद, योजना, सेवा आदि को बाज़ार में लाने से पूर्व व पश्चात में किया जाने वाला अध्ययन है। बाजार में लाने से पूर्व के संदर्भ में उदाहरणतः- मान लिया जाए कि मुझे "एक साप्ताहिक अख़बार निकलना है"। अब उस अख़बार का क्षेत्र दिल्ली है। मुझे ये मालूम करना है कि दिल्ली की जनता अखबार में क्या देखना पसंद करती हैं?, ज्यादा कौन सा पेज पढ़ा जाएगा?, कितने पेज का अख़बार उचित होगा? आदि प्रश्नों के उत्तरों में विश्वसनीयता, गहनता आदि बनी रहे इसके लिए केन्दित समूह चर्चा अत्यंत सहायक होगी। इन प्रश्नों के उत्तर के आधार पर अख़बार की रूपरेखा में तब्दीलियां करनी पड़ेगी। </div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<br /></div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
बाजार में लाने के पश्चात के संदर्भ में उदाहरण- मान लीजिए आपने दिल्ली में 1 साल पहले एक अखबार निकाला था, उस का प्रचार अधिक हो, उस अखबार से दिल्ली के लोग परिचित हुए? उसमें क्या बदलाव किया जाए जो वो अधिक पाठक तक पहुंचे व उनकी पसन्दीदा अखबार बने? आदि प्रश्नों के उत्तर के लिए भी एफजीडी सहायक होती है। एफजीडी में उद्देश्यानुसार सामान्य तौर पर 6 से 8 उत्तरदाताओं के समूह पर चर्चा की जाती है। इस चर्चा की सामान्य समयावधि 25 मिनट से 45 मिनट तक मानी जाती है।इसकी अधिकतम अवधि एक घंटे और कभी कभी डेढ़ घंटे तक होती है।इन सीमाओं में सीमित फोकस ग्रुप डिस्कशन उचित होता है। एफजीडी से व्यक्तियों की मानसिकता, चेतना की धारा, समाज की मांगों का प्रतिनिधित्व ज्ञात किया जाता है। किसी समस्या का गहनता से विश्लेषण करने के लिए एफजीडी का उपयोग किया जाता है। साथ ही एफजीडी की सहायता से शोध में गहनता स्तर का भी विस्तार होता है। </div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<br /></div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
फोकस ग्रुप डिस्कशन करने से पहले मॉडरेटर को अपने पास एक अच्छा ऑडियो अथवा वीडियो रिकॉर्डर रख लेना चाहिए ताकि पूरी चर्चा व तथ्यों को सावधानीपूर्वक रिकॉर्ड किया जा सके। आवश्यकता पढ़ने पर उसे पुनः सुना जा सके। इसके अलावा मॉडरेटर को नोटबुक पर मुख्य बातों को तुरंत नोट कर लेना चाहिए। एफजीडी में एक मॉडरेटर होता जो किसी एक ग्रुप को मोडरेट करता है। मॉडरेटर फोकस ग्रुप में प्रतिभागी के रूप में रहता है। शोधार्थी किसी भरोसेमंद व्यक्ति(निष्पक्ष) को मॉडरेटर के रूप में नियुक्त कर तथ्य जुटाता है। शोधार्थी स्वयं भी मॉडरेटर हो सकता है। मॉडरेटर द्वारा संकलित तथ्यों का संख्यात्मक अध्ययन असम्भव होता है तथा इनके तथ्यों के परिणामों की त्रुटियों का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। </div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<ul style="text-align: left;">
<li> <b>मॉडरेटर के ध्यान रखने योग्य बातें-</b></li>
</ul>
</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<br /></div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
1. मॉडरेटर पक्षपाती नहीं होना चाहिए।</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
2. मॉडरेटर को कुशल होना चाहिए।</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
3. मॉडरेटर प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने वाला होना चाहिए।</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<br /></div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
एफजीडी करने से पूर्व शोधार्थी या मॉडरेटर को समूह चर्चा जिस समस्या से सम्बन्धित हो, उससे सम्बन्धित प्रश्नों को सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध कर लेना चाहिए। </div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<br /></div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<ul style="text-align: left;">
<li><b>प्रश्नों की योजना बनाते समय या पूछते समय तमाम बातों का विशेष ध्यान रखें-</b></li>
</ul>
</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<br /></div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
1. खराब शब्दों का प्रयोग न किया जाए।</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
2. पक्षपाती प्रश्न न बनाये जाए।</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
3. ज्यादा सुलझे प्रश्न न पूछे जाए। सरल सहज प्रश्न होने चाहिए।</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
4. साहित्यिक भाषा व लम्बे वाक्यों से बचाव हो।</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
5. उचित व कम प्रश्न ही पूछे।</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
6. ऐसे प्रश्न बनाए की 8 से 12 प्रश्नों में ही आपकी समस्या का समाधान हो सकें।</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
7. ऐसे प्रश्न न पूछे जिससे सरल 'हाँ' अथवा 'नहीं' उत्तर आये, ऐसा प्रश्न होना चाहिए जिसका उत्तर विस्तार से मिलना चाहिए। </div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<br /></div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
ये सभी लापरवाहियां आपके एफजीडी को अनुचित कर सकती है। साथ ही शोध समस्या की गुणवत्ता को खराब कर सकती हैं। इसी कारण इन बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<br /></div>
<div dir="auto" style="background-color: white;">
<ul style="text-align: left;">
<li><b style="color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">सन्दर्भ-</b></li>
</ul>
</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
1. विद्यार्थी ब्लॉग।</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
2. Focus Group Discussion : Spinter Online.</div>
<div dir="auto" style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
3. How to conduct a successful FGD : Socialcops.</div>
</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-85851134630809144972018-11-27T18:32:00.000-08:002018-11-27T20:30:12.735-08:00ओछी राजनीति से बचें राजनेताभारत में पांच राज्यों में चुनावी प्रक्रिया चल रही है। साथ ही 7 दिसम्बर 2018 के बाद जनता अपनी भावी सत्ता की किस्मत ईवीएम में बंद कर देंगी। इस चुनाव में फिर से अभद्र राजनीति दिन-ब-दिन देश में भद्दा माहौल बना रही हैं। चुनावी माहौल में कोई किसी के पिता का नाम पूछ रहा है? तो कोई किसी का गोत्र पूछ रहा है? ऐसे में राजनेताओं द्वारा मात्र जनता को जातिगत विभाजित करने में किसी प्रकार की कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। जाति, नामदार, गोत्र, धर्म आदि शब्द पिछले कुछ दिनों से नई परिभाषा गढ़ रहे है। आखिर, ये सब करने की क्या आवश्यकता हैं? ऐसे में आम लोगों में प्रश्न उठता हैं कि क्या चुनाव का अस्तित्व यही रह गया है। क्या सभी नेता-गण जनता की आवश्यकताओं को भूल जाते हैं? सभी राजनेताओं द्वारा जनता को मूर्ख बनाने व अपनी व्यक्तिगत राजनीति बन्द करनी चाहिए। साथ ही जनता की आवश्यकताओं और देश के विकास की बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि भारतीय राजनीति का अस्तित्व बना रहे। यदि अभद्र राजनीति जारी रही तो देश का कोई अस्तित्व नहीं रह जायेंगा।
(हिंदुस्तान टाइम्स व राजस्थान पत्रिका में 28/11/2018
को प्रकाशित मेरा लेख)नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-41681395493657423742018-11-05T02:29:00.003-08:002018-11-05T02:29:42.417-08:00दीपावली<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div dir="ltr">
फिर से दीपावली आई रे, लक्ष्मी आई रे</div>
<div dir="ltr">
खुशियों का अंबार लेकर,<br />
सबको प्यार देने लक्ष्मी आई रे<br />
पैसों का अंबार लेकर,<br />
सबको सुख शांति देने लक्ष्मी आई रे<br />
फिर से दीपावली आई रे, लक्ष्मी आई रे।</div>
<div dir="ltr">
<br /></div>
<div dir="ltr">
एक साल में एक दिन इसे मनाया जाए<br />
क्योंकि इस दिन लक्ष्मी का आगमन हो जाए<br />
पूरे साल इसका इंतजार किया जाए<br />
फिर उस दिन के बाद लक्ष्मी चली जाए<br />
फिर से एक साल लक्ष्मी का इंतजार किया जाए<br />
फिर से दीपावली आई रे, लक्ष्मी आई रे</div>
<div dir="ltr">
<br /></div>
<div dir="ltr">
बाजार में रौनकें लेकर दीवावली आई रे<br />
इससे पहले घरों-कार्यालयों में मरम्मत हो<br />
सबकी आस्था हो, ताकि लक्ष्मी का आगमन हो, <br />
घर-घर पैसा लेकर लक्ष्मी आई रे।<br />
फिर से दीपावली आई रे, लक्ष्मी आई रे।</div>
<div dir="ltr">
<br /></div>
<div dir="ltr">
सबको कॉल घुमाव, सन्देश छोड़ो<br />
बधाइयां बांटों, मिठाइयां बांटों<br />
घर-घर दीया जलाओ<br />
मन से मन में दीया जलाओ<br />
लक्ष्मी का <u>आगमन</u> धूमधाम से कराओ<br />
क्योंकि<br />
फिर से दीपावली आई रे, लक्ष्मी आई रे।</div>
<div dir="ltr">
<br /></div>
<div dir="ltr">
उस दिन प्रकाश का होगा अद्भुत मुहूर्त<br />
मन से मन में ख़ुशियों बंटने से,<br />
बदलेगी विश्व मे भारत की सूरत <br />
सबके आशीर्वाद से ।<br />
होगा नई पहल का मुहूर्त<br />
क्योंकि,<br />
फिर से दीपावली आई रे, लक्ष्मी आई रे।</div>
<br /></div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-28445395981879449032018-10-31T08:36:00.001-07:002018-11-05T01:59:22.228-08:00पिता का सम्मान<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
उसने मुझे कंधे पे खिलाया<br />
हर दुख छिपा कर<br />
मुझे भरपूर सुख दिलाया।<br />
अपना पेट न भर कर,<br />
मुझे हरपल खूब खिलाया।<br />
उसने मुझे कंधे पर खिलाया..<br />
<br />
पिता का कंधा..<br />
वो स्वर्ग है,<br />
जिसमें जिंदगी का हर दुख<br />
सुख में बदल जाता हैं।<br />
पिता का बाहर रहना<br />
मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी,<br />
कमजोरी है।<br />
उसका चेहरा देखे बिना<br />
दिन का अस्तित्व नहीं रहता।<br />
हरपल मुझे उसका कन्धा ही याद आता,<br />
क्योंकि<br />
उसने मुझे कंधे पर खिलाया..<br />
<br />
जिंदगी की व्यस्त दौड़ में भी<br />
अगर मांगना हो तो,<br />
पिता सदैव रहें साथ।<br />
उसके साथ जो वक्त बिताया<br />
उसने मुझे चैन सिखाया<br />
साथ ही<br />
उसने मुझे कंधे पर खिलाया।<br />
<br />
(अमर उजाला के "मेरे अल्फ़ाज़" काव्य ग्रंथ में प्रकाशित कविता का लिंक https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/kashish-verma-pita-ka-samman)</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-87382578549145326812018-10-30T06:39:00.000-07:002018-10-30T06:44:45.980-07:00दिल्ली की लत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बाहर निकल आया<br />
दिल्ली से,<br />
पगडंडियों के रास्ते<br />
दिल अभी भी बैठा है<br />
तेरे वास्ते,<br />
यह खेल है दिल्ली का<br />
किसी को समझ नहीं आता।<br />
लगता है<br />
तू है मेरे वास्ते<br />
मैं हूँ तेरे वास्ते..<br />
ये फासले..<br />
कुछ दिन वास्ते..<br />
<br />
यहां का मौसम सुहाना<br />
दिल्ली से बेहतर<br />
है हवा यहां की..<br />
फर्क है मन नहीं लगता<br />
इन प्रदूषणमुक्त हवाओं में..<br />
दिल्ली की हवा<br />
प्रदूषित है<br />
है अपने वास्ते।<br />
<br />
<br />
https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/kashish-verma-delhi<br />
(अमर उजाला काव्य टीम द्वारा "मेरे अल्फ़ाज" ग्रंथ में भी प्रकाशित)</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-49318108312872414262018-09-25T21:35:00.002-07:002018-10-30T06:50:44.063-07:00स्वास्थ्य जगत में एक सकारात्मक पहल, कितनी होगी कारगर?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
23 सितंबर को झारखंड के रांची से विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा देने वाली 'आयुष्मान भारत योजना' की शुरुआत की गई। आयुष्मान योजना का उद्देश्य है कि उन गरीब लोगों का उपचार करना जो लोग गरीबी के कारण स्वास्थ्य उपचार नहीं करवा सकते थे। ऐसे में यह योजना स्वास्थ्य जगत में काफी फायदेमंद साबित होगी क्योंकि आयुष्मान योजना के तहत गरीब-वर्ग के लोगों का ध्यान रखा गया है। इस योजना से 50 करोड़ से ज्यादा भारतीयों को 5-5 लाख का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। साथ ही 50 करोड़ से ज्यादा लोग इस योजना <u>से</u> लाभान्वित होंगे जोकि यह एक सकारात्मक पहल है। इस योजना की विशेष बात यह है कि इसका सारा लेनदेन डिजीटल है। इस कारण सभी राशन कार्ड परिजन, मरीज का उपचार बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए अन्य राज्यों में भी आसानी से करवा सकते है।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
<div dir="ltr">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgHB0WRDyadpBFNgzGoorvsJVrFvUthIvuClQTw71dZ6ifNIrGNj1H3to1c8isYx14VNNMBBkyWRrvFBepR7HIaJvgr01nwXSy0_BUBv6QT7VkawUkw7zlzf34-Q7Rp34CZTycxHSir5FzY/s1600/703587-lok-nayak-hospital-02.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="360" data-original-width="640" height="180" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgHB0WRDyadpBFNgzGoorvsJVrFvUthIvuClQTw71dZ6ifNIrGNj1H3to1c8isYx14VNNMBBkyWRrvFBepR7HIaJvgr01nwXSy0_BUBv6QT7VkawUkw7zlzf34-Q7Rp34CZTycxHSir5FzY/s320/703587-lok-nayak-hospital-02.jpg" width="320" /></a></div>
</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना इसलिए है कि अभी तक किसी भी देश ने सरकारी फंड से इतनी बड़ी पहल स्वास्थ्य जगत में कभी नहीं की है। ऐसे में यदि अमेरिका और कनाड़ा जैसे बड़े देशों की आबादी जोड़ ली जाए तो भी आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों की संख्या अत्यधिक होगी। सबसे बड़ी बात <u>अब</u> ये भी है कि अब किसी भी गरीब-वर्ग के लोगों को किसी व्यापारी या साहूकारों के आगे हाथ फैलाने की आवश्यकता नहीं है। साथ गरीब-वर्ग के लोग भी अब साहू-वर्ग के लोगों की तरह निजी अस्पतालों में उपचार करने के हकदार होंगी। ऐसे में भारतीय सन्दर्भ में आयुष्मान भारत योजना एक सराहनीय पहल है। इस योजना का प्रचार हर पहलू और हर मोड़ से होना चाहिए ताकि प्रत्येक नागरिक इस मुहिम का लाभ उठा सकें। परन्तु प्रश्न यह है कि क्या यह योजना सुचारु रूप से चल सकेंगी? या इसमें भी एजेंट अपना वर्चस्व बना लेने में सफल होंगे? इस सभी कुरीतिओं से निपटने के लिए भी सरकार को कड़े इंतेज़ाम करने चाहिए ताकि ये मुहिम सुचारु रूप से चल सकें। मगर सरकार द्वारा इस मुहिम को लागू करना स्वास्थ्य जगत में एक सकारात्मक पहल है। भारत सरकार द्वारा भविष्य में ऐसी और मुहिमों को लागू करना होंगा ताकि जन-जागरूकता को बढ़ावा मिल सकें।</div>
</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-17843111032328124282018-09-24T03:58:00.002-07:002018-10-30T06:51:26.473-07:00नाजुक होती अर्थव्यवस्था<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार वृद्धि हो रहीं है जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। पेट्रोल-डीजल की लगातार मूल्यों में वृद्धि से अर्थव्यवस्था लड़खड़ा ग<u>ई</u> है क्योंकि परिवहन लागत बढ़ जाती है। परिवहन लागत के बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है। अर्थव्यवस्था के साथ सबसे ज्यादा असर उपभोक्ताओं जेब पर और पेट्रोलियम कंपनियों के व्यापार पर पड़ा है।</div>
</div>
<div dir="ltr">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEheP5bdJoLvRb6F7xuhxi8VBVvU4DJBaOBANKYC9ln__UTcIFH-AK51HENkLS1bA3XJkAoEk3nnPqyqLq7eQenD5tje3-6RRuz_jWNt8wVvCZWqWjfPbhycAqJqNLkWiaxdf506eO95ZD0O/s1600/IMG_20180924_162254.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1004" data-original-width="1600" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEheP5bdJoLvRb6F7xuhxi8VBVvU4DJBaOBANKYC9ln__UTcIFH-AK51HENkLS1bA3XJkAoEk3nnPqyqLq7eQenD5tje3-6RRuz_jWNt8wVvCZWqWjfPbhycAqJqNLkWiaxdf506eO95ZD0O/s320/IMG_20180924_162254.jpg" width="320" /></a></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: justify;">
महंगाई जब उच्च स्तर पर पहुंचती है इससे अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। अर्थव्यवस्था पेट्रोल-डीजल के मूल्यों पर केंद्रित रहती है। साथ मे इस प्रकार यदि आम लोगों की आवश्यताओं की सामग्री महँगी होती है तो इससे अर्थव्यवस्था तथा आम लोग प्रभावित होते है। ऐसे में अगर पेट्रोल-डीजल की मूल्यों में कमी नहीं आई तो ये अर्थव्यवस्था और लड़खड़ा जाएगी। साथ में आम लोग अत्यंत प्रभावित होंगे। इसलिए अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर लगाम लगनी आवश्यक है।</div>
</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-47016388337038790922018-09-21T20:12:00.002-07:002018-10-31T08:38:53.473-07:00ई-वाहन के लिए पूरा तैयार है देश, प्रदूषणमुक्त होगा भारत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<span style="text-align: justify;">वर्तमान समय में भारत के बड़ें महानगर प्रदूषण की मार झेल रहे है। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक से चलने वाहनों को भारत जैसे देश में जल्द लाना चाहिए ताकि महानगर प्रदूषणमुक्त हो सकें। इसके लिए भारत बहुत तेज़ी से ई-वाहनों को भारी मात्रा में सड़क पर लाने की तैयारियां कर रहा है। कई मायनों तक भारत मे ई-वाहनों का प्रचलन काफी कारगर साबित होगा, जिसके लिए भारत पूरी तैयारी में है। भारत सरकार ने परमिट से सम्बंधित आवश्यकताओं में साहूलियत देने का फैसला किया है। इसके सन्दर्भ में केंन्द्र सरकार का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक से चलने वाले वाहनों को परमिट लेने की कोई आवश्यकता नहीं हैं। भारत सरकार ई-वाहन को तवज्जों देने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग तथा कई शहरों में प्रति तीन किलोमीटर की दूरी के बाद पर एक चार्जिंग स्टेशन तैयार करने की नीति बना रहीं है। परन्तु ऐसा कोई निश्चित समय नहीं बताया कि ये योजना कब तक पूरी हो पाएंगी? साथ ही सबसे पहले ई-वाहनों को चलाने के लिए भारत के 11 शहरों को चुना गया है। सरकार ने ई-वाहनों को विशेष हरित लाइसेंस प्लेट की अनुमति दी है। ऐसे में निजी ई-वाहन के लिए नम्बर प्लेट सफेद रंग और कमर्शियल ई-वाहनों के लिए पीली नम्बर प्लेट पर काले रंग से अंक लिखने अनिवार्य होंगे। साथ ही 16-18 आयुवर्ग के लोगों को ही ई-वाहन चालक बनाने का विचार बना रहीं है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि केंद्र सरकार सभी टैक्सी सेवा प्रदान करने वाली कम्पनियों को वर्ष 2020 तक अधिक मात्रा में ई-वाहनों को सम्मिलित करने का विचार बना रहीं है।</span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<span style="text-align: justify;"><br /></span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgFlONVOx0RqiVULxJCa8kPcZJtV8GHCaMkZAreFXZheX5fXhvSsP8VXPDy6BjB8T12uM8lkc5r6NA-53WcwYIP1WXh-R_0ZotFBoQvXYsi83JU_s0Kzxky_YRmZOXnFeoP1R7fIgeUBpt7/s1600/IMG_20180917_092929.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="1600" data-original-width="1200" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgFlONVOx0RqiVULxJCa8kPcZJtV8GHCaMkZAreFXZheX5fXhvSsP8VXPDy6BjB8T12uM8lkc5r6NA-53WcwYIP1WXh-R_0ZotFBoQvXYsi83JU_s0Kzxky_YRmZOXnFeoP1R7fIgeUBpt7/s320/IMG_20180917_092929.jpg" width="240" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<span style="text-align: justify;"><br /></span></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<div dir="ltr">
<div style="text-align: center;">
पिछले वर्ष यानी 2017 में जितने ई-वाहनों की बिक्री हुई है, उतनी तो सम्पूर्ण भारत मे प्रतिदिन वाहनों की बिक्री होती है। परंतु इस वर्ष जितनी तेजी से भारत ने ई-वाहन के क्षेत्र में तेजी से प्रयास किया है उससे कुछ सालों बाद ई-वाहन की बिक्री में तेज़ी आना सम्भव है। बिक्री में वृद्धि के लिए सर्वप्रथम बड़ी निजी टैक्सी सेवा कंपनियों को भी जल्द ही ई-वाहनों को प्राथमिकता देकर सड़कों दौड़ाना <u>चाहिए</u>। ऐसे <u>में</u> पर्यावरण के क्षेत्र में सराहनीय पहल को बढ़ावा दिया जा रहा है। विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के सबसे ज्यादा शहर आते है। ऐसे में इस तैयारियों को शीघ्र कर ई-वाहनों को सड़क पर भारी मात्रा में दौड़ा देना चाहिए ताकि भारत के प्रदूषण वाले शहर प्रदूषणमुक्त हो सके।</div>
</div>
<span id="goog_2068743671"></span><span id="goog_2068743672"></span></div>
</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-67796725435175961292018-09-05T09:59:00.001-07:002018-10-31T08:39:50.677-07:00स्वाभिमान<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
'स्वाभिमान' शब्द दो शब्द के मिश्रित रूप से बना है 'स्व' तथा 'अभिमान'। इसका वास्तविक अर्थ है 'स्व' अर्थात् 'स्वयं' तथा 'अभिमान' का अर्थ है 'अहंकार' या 'प्रतिष्ठा'। इससे स्पष्ट है कि स्वाभिमान का अर्थ है स्वयं का अहंकार अथवा स्वयं की प्रतिष्ठा करना तथा दूसरे शब्दों में स्वाभिमानी का अर्थ, स्वयं पर गर्व करना होता है। दरअसल, अहंकार का अर्थ है 'मैं ही हूँ' जबकि स्वाभिमान का अर्थ है 'मैं भी हूँ'। स्वयं की भाषा, राष्ट्र, धर्म, कार्य आदि पर गर्व करना स्वाभिमान है। स्वाभिमान के सन्दर्भ में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि "मानो हि महतां धनम्" अर्थात् महापुरुषों का धन ही मान है। यही मान स्वाभिमान के सन्दर्भ में प्रयुक्त होता हैं। स्वयं को अन्य सामाजिकों से भिन्न स्वीकार करना स्वाभिमान होता है। जो व्यक्ति स्वाभिमानी होता है उसके व्यक्तित्व में आत्म सम्मान की भावनाएं अत्यधिक होती है। स्वाभिमानी होना स्वयं पर गर्व करना होता है। प्रत्येक व्यक्ति में स्वाभिमान होना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि बिना स्वाभिमान के सभी व्यक्ति अधूरे माने जाते हैं। परन्तु इसके विपरीत स्वाभिमान होने के कारण अनेकों बार व्यक्तियों को अपने चरित्र अथवा व्यक्तित्व पर हानि पहुंचती है। इसका मुख्य कारण है स्वाभिमान होना। स्वाभिमान के कारण व्यक्ति स्वयं के विचारों पर अड़ा रहता है जो उसके चरित्र को हानि पहुंचता है। व्यक्ति स्वाभिमानी होने के कारण अन्य लोगों को कम आंकने तथा स्वयं से कम ज्ञानी मानने लगता है। साथ ही, स्वयं को बड़ा समझने लगता है। स्वाभिमानी होने पर व्यक्ति गर्व तो करता है, परंतु कई दफा अन्य व्यक्ति स्वाभिमानी व्यक्ति के विचारों तथा उसके व्यवहार से आहत हो जाते हैं। इसी कारण स्वाभिमानी सदैव आश्वस्त होते है।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
भारतीय सन्दर्भ में महापुरुषों या महानुभवों के व्यक्तित्व की बात की जाएं तो इनके व्यक्तित्व में एक विशेषता सदैव पर्याप्त मिलता है, वह है स्वाभिमान। तमाम महानुभवों को स्वाभिमानी होने पर गर्व महसूस हुआ करता है। इसी कारण भारतीय महापुरुष इस स्वाभिमान का त्याग कभी उचित नहीं समझते है। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि प्रत्येक महान स्त्री-पुरुषों के जीवन में जो सर्वाधिक प्रेरणा-शक्ति रही है, वो है उनका आत्मविश्वास यानि स्वाभिमान।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
साहित्य शिरोमणि डॉ. धर्मपाल ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि 'स्वाभिमान का भाव मनुष्यों में ही होता है', 'जिसमें स्वाभिमान नहीं, वह पशुवत है', 'व्यक्ति कितना भी अकिंचन क्यों न हो, यदि उसमें स्वाभिमान है, तो वह किसी राजा से कम नहीं' इससे यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं है कि संसार में बिना स्वाभिमान के सभी व्यक्ति अधूरे माने जाते हैं।</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div style="text-align: justify;">
सन्दर्भ-</div>
<div style="text-align: justify;">
1. मैनी,डॉ. धर्मपाल.(2005). मानव-मूल्य-परक शब्दावली का विश्वकोश, सरुप एंड सन्ज: नई दिल्ली।</div>
<div style="text-align: justify;">
2. स्वाभिमान का महत्व : ॐ स्वामी।</div>
<div style="text-align: justify;">
3. कांत, सुरेश.(2007). उत्कृष्ट प्रबंधन के रूप , राधाकृष्ण प्रकाशन : नयी दिल्ली।</div>
</div>
नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-74914915958034543602018-08-30T21:19:00.002-07:002018-10-31T08:44:04.493-07:00सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाकू की तरह है जिसमें सिर्फ धार है। वह प्रयोग करने वाले का हाथ रक्तमय कर देता है।(रबींद्रनाथ टैगोर)<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="font-family: sans-serif; font-size: 12.8px; text-align: left;">
<div style="text-align: justify;">
<span style="font-size: 12.8px;">किसी विचार अथवा</span><span style="font-size: 12.8px;"> विशेष</span><span style="font-size: 12.8px;"> </span><span style="font-size: 12.8px;">मुद्दे पर आधारित अपनी दलील रखना अथवा सुविचारित बात को रखना तर्क कहलाता है। तर्क एक यत्न है इसका उपयोग अत्यंत सोच-विचार से किया जाता है। तमाम व्यक्तियों को तर्क करने की आदत होती है। जोकि कई मायनों तक हानिकारक भी होती है। सोच-विचार के पश्चात अथवा ज्ञानविहीन व्यक्तियों के लिए तर्क चरित्रविहीन हो सकता है। इसी कारण तर्क देने से सामाजिकों को हानि का सामना करना पड़ता है। साहब ररवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस संदर्भ में लिखा है कि 'सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाकू की तरह है जिसमें सिर्फ धार है। वह प्रयोग करने वाले का हाथ रक्तमय कर देता है।' साहब टैगोर के इस वाक्य से स्पष्ट है कि 'जो मानव-मस्तिष्क तर्क अथवा दलील का इस्तेमाल करता है, वो मानव अपने चरित्र का ही नुकसान करता है। साथ में, अपने हाथों को खून में भर सकता है।</span><br />
<span style="font-size: 12.8px;"><br /></span></div>
</div>
<div dir="ltr" style="font-family: sans-serif; font-size: 12.8px;">
<div style="text-align: justify;">
मानव सभी फैसलें के उत्तर तार्किकता से देता है। अन्य व्यक्तियों को सोचने को मजबूर व तनाव में डाल देता है। प्रत्येक मानव, दिमाग की सहायता से ही तार्किक उत्तर देने में सक्षम होते है। किसी स्थान पर तर्क करने वाला समझदार होता है तथा कहीं-कहीं तार्किक उत्तर देने से व्यक्ति को अपने हाथ खून में बहाने पड़ जाते है। जिसका भारी नुकसान व्यक्ति को सामाजिक स्तर अथवा व्यक्तिगत भी झेलना पड़ता है। तर्क देने वाले का दिमाग अत्यंत धारदार होता है। धारदार का प्रभाव अत्यधिक होता है कि उसका प्रयोग करने वाले व्यक्तियों का हाथ रक्त में समा जाता है। तर्क करने वाला व्यक्ति समझदारीपूर्ण विषय को समझने के बाद तर्क अर्थात् विचार-विमर्श अथवा दलील व्यक्त करता है।तर्क हेतु मानव-मस्तिष्क में विवेकता की अत्यंत आवश्यकता होती है। व्यक्तिओं के हृदय में विवेकता की उपस्थिति करके तथा विवेकता का उपयोग कर स्वयं के लिए जटिलताओं तथा समाज के लिए अंकुश पैदा कर लेते हैं। इसी कारण तर्क एक सोचनीय विषय बन जाता है। तर्क व्यक्त करना जटिल तो होता है परन्तु तर्क व्यक्त करना लाभदायक सहित हानिकारक भी होता है। इसीलिए तर्क करने वाले व्यक्ति हेतु साहब <u>टैगोर</u> ने कहा है - तर्क का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के हाथ खून में भर जाते है।</div>
</div>
<div dir="ltr" style="font-family: sans-serif; font-size: 12.8px;">
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
<div dir="ltr" style="font-family: sans-serif; font-size: 12.8px;">
<div style="text-align: justify;">
तमाम मुद्दों पर अपने विचार रखने के लिए भिन्न-भिन्न पंक्तियों में कब, कहां, कौन तथा कैसे प्रश्नसूचक शब्दों का प्रयोग सावधानीपूर्वक करें। उन सुव्यवस्थित पंक्तियों को तर्क की श्रेणी में रखा जाता हैं। तर्क के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति अपनी बात को अन्य व्यक्तियों पर थोपने का कार्य करता है। किसी न किसी रूप में वह तर्क किसी अन्य व्यक्तियों को ठेस तो पहुंचाता है। इससे अन्य सामाजिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी कारण तर्क में दोनों श्रोता-वक्ता के परस्पर संवाद को सम्मिलित करना आवश्यक हो जाता है। तर्क के द्वारा सदैव वक्ता अपनी बात पर अड़ा रहता है, वक्ता तर्क के द्वारा ही अपनी बात मनवाने का भरपूर प्रयास करता है। चाहे किसी को लाभ हो या हानि, तर्ककर्ता प्रभावविहीन रहता है।<br />
<br /></div>
</div>
<div dir="ltr" style="font-family: sans-serif; font-size: 12.8px;">
<div style="text-align: justify;">
तर्क करना भी एक कला है। परन्तु समस्या तब उत्पन्न होती है जब हम अपने तर्क में कुतर्क होने पर भी अड़े रहते है तो सामने वाले व्यक्ति की प्रतिक्रिया अथवा तर्क को समझ पाने में असक्षम होते है। ऐसे में इसका खामियाजा तथा नुकसान स्वयं प्रत्येक तर्ककर्ता को भुगतना पड़ता है। ऐसे में तर्ककर्ता को इससे परहेज करना चाहिए तथा ऐसा तर्क न करें कि हमारे हाथ रक्तमय हो जाएं। मात्र तर्क ही न करें बल्कि तर्क सुनने का भी अवसर प्राप्त करें ताकि तर्क एक संवाद बन सकें, साथ ही सार्थक तर्क, ज्ञान और अनुभव प्राप्त हो सकें। यहीं सक्षम तर्क हो सकता है।<br />
<br /></div>
</div>
<div dir="ltr" style="font-family: sans-serif; font-size: 12.8px;">
<div style="text-align: justify;">
व्यक्ति किसी मुद्दे, विषय अथवा समस्या को सुलझाने के लिए एक-दूसरे से विचार विमर्श करता हैं, यहीं तर्क होता हैं। <u>तर्क</u> किसी भी विषय पर अपनी दलील, बात रखने की एक प्रक्रिया है। जिसमें तर्क भिन्न-भिन्न रूप प्राप्त करता है। जैसे- अध्यापक, प्राध्यापक, मित्र, राजनेता, साहित्यकार, पत्रकार तथा अभिभावक आदि से तर्क करना अच्छा होता है। परन्तु कभी-कभी तर्क करना कुतर्क में तब्दील हो जाता है। यहां तक कि तर्क बहस, विवाद अथवा मुद्दे का भी विषय बन जाता है। बहस या मुद्दे में तब्दील होने पर व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है। ऐसे उदाहरणों को देखते हुए तर्क करना ख़तरनाक होता है। दरअसल, होता यह है कि तर्क करने वाला व्यक्ति अपने तर्क पर ही आधारित रहता है कि चाहे व्यक्ति का तर्क, कुतर्क ही क्यों न हों। परन्तु तर्ककर्ता अपने तर्क पर अड़ा रहता है। इससे तर्ककर्ता को भारी नुकसान झेलना पड़ता है। सुतर्क सदैव व्यक्तियों को अच्छाई में तब्दील करता है, इसके विपरीत कुतर्क सदैव व्यक्तियों को निचले स्तर पर पहुंचाता है।<br />
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तर्क करने वाले मानव-दिमाग को अपने ही कुतर्क को मानने से परहेज़ होना चाहिए ताकि अच्छा तर्ककर्ता बन सकें। साथ ही, श्रोता-वक्ता के मध्य संबंधों की वार्तालाप भी बनी रहें। व्यक्तियों को तर्क करने से पूर्व शब्दों का अच्छे ढंग से चयन कर लेना चाहिए ताकि व्यक्ति अच्छे ढंग से तर्क कर सकें। यदि अपने तर्क में व्यक्ति कुतर्क पर भी अड़ा रहें तो उसे नुकसान झेलना पड़ता है जोकि अक्सर होता है। इसी कारण साहब टैगोर ने भी माना है कि 'सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाकू की तरह है जिसमें सिर्फ धार है। वह प्रयोग करने वाले का हाथ रक्तमय कर देता है।'</div>
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नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-32651553321087638852018-07-12T20:28:00.003-07:002018-10-31T08:45:09.716-07:00लुभाने फैसलों से बचाव<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) में वृद्धि की घोषणा की है। खरीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई हालिया बढ़ोतरी को केन्द्र सरकार एेतिहासिक व्यक्त कर रही हैं। परन्तु सत्य तो यही है कि यह फैसला किसानों को लुभाने वाला है क्योंकि अगले साल आम चुमाव होने वाले हैं। चुनावी दौर में जनता को लुभाने वाले फैसले लेना तो राजनीतिक दलों का स्वभाव हैं। इसी संदर्भ में न्यूनतम समर्थन मूल्यों में सरकार द्वारा की गयी वृद्धि किसानों को उनके लागत मूल्य से 50% अधिक लाभ दिलाने के लिए सरकार का यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है।<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhWQQkurItTy_jrpY7fTB2PJF5Ok1aBOGeJxLmPgNyr7cvEpEHK_e_NuzVTe1fw12KYBHMYMolQU0pty5JVDrVSIDb6XRjxsipSd4TjT3WHMyKJ6RbW2BL710MR1q4YK6PCx-6gdVgBnJ-v/s1600/images+%25286%2529.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="302" data-original-width="488" height="247" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhWQQkurItTy_jrpY7fTB2PJF5Ok1aBOGeJxLmPgNyr7cvEpEHK_e_NuzVTe1fw12KYBHMYMolQU0pty5JVDrVSIDb6XRjxsipSd4TjT3WHMyKJ6RbW2BL710MR1q4YK6PCx-6gdVgBnJ-v/s400/images+%25286%2529.jpeg" width="400" /></a></div>
तमाम विशेषज्ञों का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्यों की वृद्धि से महंगाई बढ़ सकती है और सरकारी खर्च बढ़ने से राजकोषीय घाटा हो सकता है। जिससे आम जनता को भी परेशानी हो सकती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था कितनी कारगर होगी और इससे कितने किसानों को लाभ मिल पाता है यह देखना अभी शेष है। बहरहाल, चुनावी साल में जनता को लुभाने वाले फैसले हमेशा किये जाते है जोकि इस बार भी किये जाएंगे मात्र वोट बटोरने के लिए। विपक्ष भी अपना लुभावना घोषणा पत्र बनाने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में जनता को जागरूक और समझदार बनने की ज्यादा आवश्यकता हैं ताकि कोई भी उनके वोट का दुरूपयोग न कर सकें।<br />
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नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-90546739545351899042018-06-07T19:56:00.000-07:002018-10-31T08:46:01.044-07:00मोदी सरकार की परीक्षा, क्या खोया और क्या पाया?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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मोदी सरकार 2014 यानी जब से सत्ता में आई है तब से अबतक कई अहम फैसले ले चुकी हैं। जिसका जनता को समर्थन करना स्वाभाविक हैं। सबसे पहले मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन को लक्ष्य बनाया, इस पर आज भी कार्य बरकरार हैं। इसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक के द्वारा ये स्पष्ट कर दिया कि भारतीय सेना किसी भी विकसित देश से कम नहीं है। मोदी सरकार ने कालेधन पर निरंकुश लगाने के लिए नोटबन्दी की, यह अहम निर्णय सरकार द्वारा लिया गया। हाल ही में चर्चा में रहा तीन तालाक का बन्द होना, मोदी सरकार की कामयाबी मानी गई। साथ ही मोदी सरकार ने योगा को भी बढ़ावा दिया। मोदी सरकार ने तमाम योजनाएं चलाई। इससे तमाम लोगों और समाज को लाभ भी हुआ, जैसे- जन धन योजना, नमामि गंगे प्रोजेक्ट, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना आदि। अबतक चार साल के भीतर लगभग 60 योजनाओं को सरकार द्वारा लागू किया जा चुका हैं।<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEioLEZnnjOqqSBvAd7JVn9Bav1Y8gUTzGOUghiDrrlwIlFsOe551LKm_6e2mm3vZ3J18YDDskxFcT6ROi5Fv7MQlcGyNOTf7N4hH54IVrFIYEjxd8yKgC9TZBOhEi6JfVGcsp1w3Tndh-WV/s1600/images.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="301" data-original-width="489" height="245" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEioLEZnnjOqqSBvAd7JVn9Bav1Y8gUTzGOUghiDrrlwIlFsOe551LKm_6e2mm3vZ3J18YDDskxFcT6ROi5Fv7MQlcGyNOTf7N4hH54IVrFIYEjxd8yKgC9TZBOhEi6JfVGcsp1w3Tndh-WV/s400/images.jpeg" width="400" /></a></div>
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इसके विपरीत यदि सरकार की खामियों की बात करें तो मोदी सरकार चार साल बाद अपने अहम चुनावी वादों पर खरी नहीं उतरीं, जैसे- अच्छे दिन से लोगों को उम्मीद थी कि अधिक आय होगी, बेहतर सुरक्षा होगी, महिलाओं की सुरक्षा, मंहगाई कम होगी, बेहतर शिक्षा होगी, भूमि अधिग्रहण आदि जैसे अहम मुद्दों पर मोदी सरकार असफल रहीं। अब देखना यह होगा कि 2019 <u>के</u> आम चुनाव से पहले मोदी सरकार जनता को अपने चुंगल में फसा पाएंगी या खुद फस जाएंगी। <u>अगर</u> सरकार का रवैया यहीं रहा तो 2019 का दंगल जितना भाजपा के लिए मुश्किल हो सकता हैं।</div>
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नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-76828772541126794572018-06-06T20:13:00.000-07:002018-10-31T08:46:28.371-07:00किसानों की समस्याओं के सटीक समाधान<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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भारतीय समाज में आज सबसे बड़ी समस्या किसानों की दुर्दशा हैं। इससे निपटने के लिए किसानों को स्वयं भी जागरूक होना चाहिए ताकि समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जा सकें। किसानों को कृषि करने के लिए नई तकनीकों और एकीकृत प्रणाली की समझ बना लेनी चाहिए ताकि किसान कम लागत, कम समय और कम मेहनत में अच्छी खेती कर सकें, इससे किसानों की आधी समस्याओं का स्थायी समाधान निकलेंगा और किसानों की आय विकसित भी होंगी। किसानों के उत्पादनों में शीघ्र दोगुनी वृद्धि होनी चाहिए ताकि स्थायी रुप से किसानों की आर्थिक विकास में सुधार हो सकें। </div>
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgl1SRJGnLe1lg5TnPcQRlqxSARoPujZjkJGDkgRgB_eJ6HkJjxBmPA08FPggy9U1nFepj0RKrdpgYndNtPTL6OdcchYiu9LEMqpIxSHJdpdSqNcRCFq2SkO3fNgCpyMjV-yRzG8mWA_xSG/s1600/images+%25282%2529.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" data-original-height="313" data-original-width="470" height="265" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgl1SRJGnLe1lg5TnPcQRlqxSARoPujZjkJGDkgRgB_eJ6HkJjxBmPA08FPggy9U1nFepj0RKrdpgYndNtPTL6OdcchYiu9LEMqpIxSHJdpdSqNcRCFq2SkO3fNgCpyMjV-yRzG8mWA_xSG/s400/images+%25282%2529.jpg" width="400" /></a></div>
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सरकार का उद्देश्य 2022 तक सभी किसानों की आमदनी दोगुनी करना है, इस प्रयास को वर्तमान में लागू करने का प्रयास किया जाना चाहिए। इससे सभी किसानों की समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता हैं। भारत में आकंड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष लगभग 15,000 किसानों की मौत का कारण खेती संबंधित बैंकों का कर्ज न चुकाना है। इसके कारण ही उन्हें आत्महत्या का शिकार होना पड़ता हैं। ऐसे में वर्तमान में केन्द्र व राज्य दोनों सरकारों को मिलकर किसान हित में सटीक नीति बनाने की सख्त आवश्यकता है ताकि किसानों की लाचार हालात पर तेजी से रोक लगाई जा सकें। साथ ही स्थायी रुप से किसानों की आत्महत्याओं की संख्या तेजी से घटेंगी।</div>
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नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-9838601767338548212018-06-05T20:35:00.000-07:002018-10-31T08:48:26.378-07:00 सोशल मीडिया में नकारात्मक सूचनाओं के संप्रेषण पर लगे अंकुश<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<div style="text-align: center;">
<span style="font-family: sans-serif; font-size: 13.696px; text-align: justify;">साम्प्रदायिक दंगे, अश्लीलता, तनाव, अफवाह, व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप तथा नकारात्मक सूचनाओं को व्यक्त करना सोशल मीडिया का दायित्व बन गया है। ऐसी सूचनाएं व्यक्त करने से समाज पर दुष्परिणाम तो पड़ता ही है, साथ में जनमानस भी प्रभावित होता है। सूचना के इस दौर में सोशल मीडिया द्वारा साइबर अपराध को भी बढ़ावा मिल रहा है। इससे देश की आंतरिक सुरक्षा के खतरे की चुनौतियां बढ़ जाती हैं। सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरें प्रस्तुत करने वाले सोशल मीडिया उपभोक्ताओं को अपराधियों की श्रेणी में रख दंड देने का प्रावधान होना चाहिए ताकि सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव रोका जा सके। वर्तमान समय में जिस प्रकार मीडिया की संहिता लागू है उसी प्रकार सोशल मीडिया भी नियमन के दायरे में हो ताकि सोशल मीडिया द्वारा प्रस्तुत फर्जी विषयवस्तु पर अंकुश लग सके। कभी-कभी सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव इतना अधिक बढ़ जाता है कि सरकार को इस पर प्रतिबंध भी लगाना पड़ जाता है। अर्थहीन और निजता पर हमले की ख़बरें बढ़ जाने पर सरकार क्यों न स्थायी तौर से सोशल मीडिया को कानूनबद्ध कर नियंत्रण करे या निगरानी करे। आज सोशल मीडिया के दुरुप्रयोग को देखते हुए इस पर अंकुश लगाने की आवयश्कता है ताकि समाज में इसकी विश्वसनीयता बनी रहे।</span></div>
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नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-816850292725368638.post-47092112574064588212018-06-04T20:34:00.002-07:002018-10-31T08:50:16.807-07:00कैसे घटे प्लास्टिक प्रदूषण, सुंदर बनें पर्यावरण?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
प्लास्टिक के इस्तेमाल से मानव और जानवर के जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ता है। साथ ही अधिक मात्रा में पर्यावरण दुष्ट होता हैं। ऐसे में वर्तमान सन्दर्भ में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाना अनिवार्य हो गया हैं। निचले स्तर पर भी प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगना अनिवार्य हो गया हैं। जैसे - सब्ज़ी मंडी में पॉलीबैग का इस्तेमाल होना आदि। जर्मन और दक्षिण कोरिया विश्व में ऐसे देश है जो सबसे ज्यादा मात्रा में कचरे को पुनः प्रयोग करते हैं, ऐसे में हमें इन देशों से सीख लेनी होंगी। अमेरिका और कनाडा जैसे देशों ने प्लास्टिक रोकने के लिए कड़े कानून का प्रावधान किया हुआ है। प्लास्टिक पर रोक लगाने के लिए भारत की सभी राज्य सरकारों को भी कड़े कानून का प्रावधान करना होगा ताकि प्लास्टिक का प्रयोग कम किया जाए। प्लास्टिक रोक के लिए सभी भारतीयों को एकजुट होना होगा। 'द गार्जियन' अंग्रेजी अखबार के एक लेख के अनुसार विश्व में प्रत्येक मिनट में लाखों की संख्या में प्लास्टिक की बोतलें खरीदी जाती हैं। भारत में भी सर्वाधिक बोतल वाली प्लास्टिक का प्रयोग किया जाता है ऐसे में सभी कंपनियों को प्लास्टिक की बोतलों से कमाई रोकनी चाहिए ताकि उपभोक्तावाद प्लास्टिक बोतलों को न खरीदें। साथ ही प्लास्टिक का प्रयोग दुकानदारों के द्वारा भी किया जाता हैं। ऐसे में सभी दुकानदारों को प्लास्टिक बैग की जगह कपड़े के बैग को प्रयोग में लाना चाहिए। विक्रेताओं के साथ उपभोक्तावाद को भी इनका साथ देना होगा सभी उपभोक्तओं को ख़रीदारी करने के लिए अपने साथ एक कपड़े का थैला ले जाने की आदत डालनी होगी। इससे भारी मात्रा में प्लास्टिक पर रोक लगेंगी। भारत के झारखंड और हिमाचल राज्यों में जिस तरह प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध हैं और हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने भी प्लास्टिक पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। ऐसे में भारत की सभी राज्य सरकारों को प्लास्टिक के प्रयोग <u>को</u> प्रतिबंधित करना चाहिए ताकि प्लास्टिक प्रदूषण कम हों, और सुंदर पर्यावरण बन सकें।</div>
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नव किरणhttp://www.blogger.com/profile/03212907621114704538noreply@blogger.com0