Tuesday, 27 November 2018

ओछी राजनीति से बचें राजनेता

भारत में पांच राज्यों में चुनावी प्रक्रिया चल रही है। साथ ही 7 दिसम्बर 2018 के बाद जनता अपनी भावी सत्ता की किस्मत ईवीएम में बंद कर देंगी। इस चुनाव में फिर से अभद्र राजनीति दिन-ब-दिन देश में भद्दा माहौल बना रही हैं। चुनावी माहौल में कोई किसी के पिता का नाम पूछ रहा है? तो कोई किसी का गोत्र पूछ रहा है? ऐसे में राजनेताओं द्वारा मात्र जनता को जातिगत विभाजित करने में किसी प्रकार की कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। जाति, नामदार, गोत्र, धर्म आदि शब्द पिछले कुछ दिनों से नई परिभाषा गढ़ रहे है। आखिर, ये सब करने की क्या आवश्यकता हैं? ऐसे में आम लोगों में प्रश्न उठता हैं कि क्या चुनाव का अस्तित्व यही रह गया है। क्या सभी नेता-गण जनता की आवश्यकताओं को भूल जाते हैं? सभी राजनेताओं द्वारा जनता को मूर्ख बनाने व अपनी व्यक्तिगत राजनीति बन्द करनी चाहिए। साथ ही जनता की आवश्यकताओं और देश के विकास की बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि भारतीय राजनीति का अस्तित्व बना रहे। यदि अभद्र राजनीति जारी रही तो देश का कोई अस्तित्व नहीं रह जायेंगा। (हिंदुस्तान टाइम्स व राजस्थान पत्रिका में 28/11/2018 को प्रकाशित मेरा लेख)

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