Wednesday 5 December 2018

फोकस ग्रुप डिस्कशन(केंद्रीय समूह परिचर्चा या एफजीडी)

किसी शोध समस्या के समाधान के लिए एक समूह पर केंद्रित होकर की गयी चर्चा, केंद्रीय समूह परिचर्चा या फोकस ग्रुप डिस्कशन कहलाता है। फोकस ग्रुप डिस्कसन मीडिया, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान के तहत प्रयोग किया जाता है। फोकस ग्रुप डिस्कशन भागीदारी शोध का एक हिस्सा है। फोकस ग्रुप डिस्कशन समस्या से सम्बंधित आंकड़े या तथ्य संकलित करने की एक तकनीक है जो गुणात्मक शोध एवं गणनात्मक शोध के अंतर्गत आती है। लेकिन गुणात्मक अध्ययन हेतु अधिक प्रयोग किया जाता है अतः इसे गुणात्मक शोध विधि भी कहते है। गुणात्मक शोध विधियों में फोकस ग्रुप डिस्कशन(एफजीडी) विधि सबसे लोकप्रिय विधि है। एफजीडी बाजार शोध (मार्केट रिसर्च) में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली एक विधि है। एफजीडी में किसी उत्पाद, योजना, सेवा आदि को बाज़ार में लाने से पूर्व व पश्चात में किया जाने वाला अध्ययन है। बाजार में लाने से पूर्व के संदर्भ में उदाहरणतः- मान लिया जाए कि मुझे "एक साप्ताहिक अख़बार निकलना है"। अब उस अख़बार का क्षेत्र दिल्ली है। मुझे ये मालूम करना है कि दिल्ली की जनता अखबार में क्या देखना पसंद करती हैं?, ज्यादा कौन सा पेज पढ़ा जाएगा?, कितने पेज का अख़बार उचित होगा? आदि प्रश्नों के उत्तरों में विश्वसनीयता, गहनता आदि बनी रहे इसके लिए केन्दित समूह चर्चा अत्यंत सहायक होगी। इन प्रश्नों के उत्तर के आधार पर अख़बार की रूपरेखा में तब्दीलियां करनी पड़ेगी। 

बाजार में लाने के पश्चात के संदर्भ में उदाहरण- मान लीजिए आपने दिल्ली में 1 साल पहले एक अखबार निकाला था, उस का प्रचार अधिक हो, उस अखबार से दिल्ली के लोग परिचित हुए? उसमें क्या बदलाव किया जाए जो वो अधिक पाठक तक पहुंचे व उनकी पसन्दीदा अखबार बने? आदि प्रश्नों के उत्तर के लिए भी एफजीडी सहायक होती है। एफजीडी में उद्देश्यानुसार सामान्य तौर पर 6 से 8 उत्तरदाताओं के समूह पर चर्चा की जाती है। इस चर्चा की सामान्य समयावधि 25 मिनट से 45 मिनट तक मानी जाती है।इसकी अधिकतम अवधि एक घंटे और कभी कभी डेढ़  घंटे तक होती है।इन सीमाओं में सीमित फोकस ग्रुप डिस्कशन उचित होता है। एफजीडी से व्यक्तियों की मानसिकता, चेतना की धारा, समाज की मांगों का प्रतिनिधित्व ज्ञात किया जाता है। किसी समस्या का गहनता से विश्लेषण करने के लिए एफजीडी का उपयोग किया जाता है। साथ ही एफजीडी की सहायता से शोध में गहनता स्तर का भी विस्तार होता है। 

फोकस ग्रुप डिस्कशन करने से पहले मॉडरेटर को अपने पास एक अच्छा ऑडियो अथवा वीडियो रिकॉर्डर रख लेना चाहिए ताकि पूरी चर्चा व तथ्यों को सावधानीपूर्वक रिकॉर्ड किया जा सके। आवश्यकता पढ़ने पर उसे पुनः सुना जा सके। इसके अलावा मॉडरेटर को नोटबुक पर मुख्य बातों को तुरंत नोट कर लेना चाहिए। एफजीडी में एक मॉडरेटर होता जो किसी एक ग्रुप को मोडरेट करता है। मॉडरेटर फोकस ग्रुप में प्रतिभागी के रूप में रहता है। शोधार्थी किसी भरोसेमंद व्यक्ति(निष्पक्ष) को मॉडरेटर के रूप में नियुक्त कर तथ्य जुटाता है। शोधार्थी स्वयं भी मॉडरेटर हो सकता है। मॉडरेटर द्वारा संकलित तथ्यों का संख्यात्मक अध्ययन असम्भव होता है तथा इनके तथ्यों के परिणामों की त्रुटियों का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। 
  •   मॉडरेटर के ध्यान रखने योग्य बातें-

1. मॉडरेटर पक्षपाती नहीं होना चाहिए।
2. मॉडरेटर को कुशल होना चाहिए।
3. मॉडरेटर प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने वाला होना चाहिए।

एफजीडी करने से पूर्व शोधार्थी या मॉडरेटर को समूह चर्चा जिस समस्या से सम्बन्धित हो, उससे सम्बन्धित प्रश्नों को सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध कर लेना चाहिए। 

  • प्रश्नों की योजना बनाते समय या पूछते समय तमाम बातों का विशेष ध्यान रखें-

1. खराब शब्दों का प्रयोग न किया जाए।
2. पक्षपाती प्रश्न न बनाये जाए।
3. ज्यादा सुलझे प्रश्न न पूछे जाए। सरल सहज प्रश्न होने चाहिए।
4. साहित्यिक भाषा व लम्बे वाक्यों से बचाव हो।
5. उचित व कम प्रश्न ही पूछे।
6. ऐसे प्रश्न बनाए की 8 से 12 प्रश्नों में ही आपकी समस्या का समाधान हो सकें।
7. ऐसे प्रश्न न पूछे जिससे सरल 'हाँ' अथवा 'नहीं' उत्तर आये, ऐसा प्रश्न होना चाहिए जिसका उत्तर विस्तार से मिलना चाहिए। 

ये सभी लापरवाहियां आपके एफजीडी को अनुचित कर सकती है। साथ ही शोध समस्या की गुणवत्ता को खराब कर सकती हैं। इसी कारण इन बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।

  • सन्दर्भ-
1. विद्यार्थी ब्लॉग।
2.  Focus Group Discussion : Spinter Online.
3. How to conduct a successful FGD :  Socialcops.

No comments:

Post a Comment

महामारी के बीच जल दिवस पर ही जल कमी

कोरोना विषाणु के संकट से भारत ही नहीं पूरी दुनिया इस संकट से निपटने के लिए मजबूर हो गयी। साथ ही वहीं इस महामारी से निपटने के लिए विश्व स्व...