आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) में वृद्धि की घोषणा की है। खरीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई हालिया बढ़ोतरी को केन्द्र सरकार एेतिहासिक व्यक्त कर रही हैं। परन्तु सत्य तो यही है कि यह फैसला किसानों को लुभाने वाला है क्योंकि अगले साल आम चुमाव होने वाले हैं। चुनावी दौर में जनता को लुभाने वाले फैसले लेना तो राजनीतिक दलों का स्वभाव हैं। इसी संदर्भ में न्यूनतम समर्थन मूल्यों में सरकार द्वारा की गयी वृद्धि किसानों को उनके लागत मूल्य से 50% अधिक लाभ दिलाने के लिए सरकार का यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
तमाम विशेषज्ञों का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्यों की वृद्धि से महंगाई बढ़ सकती है और सरकारी खर्च बढ़ने से राजकोषीय घाटा हो सकता है। जिससे आम जनता को भी परेशानी हो सकती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था कितनी कारगर होगी और इससे कितने किसानों को लाभ मिल पाता है यह देखना अभी शेष है। बहरहाल, चुनावी साल में जनता को लुभाने वाले फैसले हमेशा किये जाते है जोकि इस बार भी किये जाएंगे मात्र वोट बटोरने के लिए। विपक्ष भी अपना लुभावना घोषणा पत्र बनाने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में जनता को जागरूक और समझदार बनने की ज्यादा आवश्यकता हैं ताकि कोई भी उनके वोट का दुरूपयोग न कर सकें।
तमाम विशेषज्ञों का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्यों की वृद्धि से महंगाई बढ़ सकती है और सरकारी खर्च बढ़ने से राजकोषीय घाटा हो सकता है। जिससे आम जनता को भी परेशानी हो सकती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था कितनी कारगर होगी और इससे कितने किसानों को लाभ मिल पाता है यह देखना अभी शेष है। बहरहाल, चुनावी साल में जनता को लुभाने वाले फैसले हमेशा किये जाते है जोकि इस बार भी किये जाएंगे मात्र वोट बटोरने के लिए। विपक्ष भी अपना लुभावना घोषणा पत्र बनाने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में जनता को जागरूक और समझदार बनने की ज्यादा आवश्यकता हैं ताकि कोई भी उनके वोट का दुरूपयोग न कर सकें।
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