Sunday 3 February 2019

प्यार में ज्यादा

फुरसत में हो तो प्यार ज्यादा,
व्यस्त हो तो दुश्मन ज्यादा।
मिलते हो तो प्यार है ज्यादा
मिलने को टालते हो तो,
स्वार्थी और अहंकारी हो ज्यादा।

'हां' में 'हां' करते हो तो,
प्यार है ज्यादा।
'हां' में 'न' की तो,
तुमने प्यार नहीं किया ज्यादा।
'हां' में 'न' करते हो तो
पराया भी हो ज्यादा।

मिलने को बरकरार हो ज्यादा,
तो उसका प्यार है ज्यादा।
मिलने को 'मना' किया
तो दुश्मन हो तुम ज्यादा

विवाह करना हो तो,
भविष्य देखना होता हैं ज्यादा।
वर्तमान में बात भविष्य पर हुई,
तो स्वार्थी हो तुम ज्यादा।
फुरसर में हो तो प्यार है ज्यादा,
व्यस्त हो तो दुश्मन हो ज्यादा।

प्रस्तुत कविता अमर उजाला के मेरे अल्फाज़(काव्य संग्रह) में 07/02/2019 को प्रकाशित है..  आप इस लिंक पर भी पढ़ सकते है..💐🙏
(https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/kashish-verma-pyaar-mein-jyada-1549218593118)

7 comments:

  1. बहुत ही दिल्लगी और सहजता से यह अल्फ़ाज़ निकाले है आपने, शानदार।👍

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    1. बिल्कुल, मैडम जी शुक्रिया आपका..💐💐

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