Sunday 10 February 2019

स्वच्छता की स्वयं से हो शुरुआत

प्रत्येक वर्ष के गणतंत्र व स्वंतन्त्रता दिवस के अवसर पर देश की अज़ादी के वर्ष गिनते है। हमें पता है कि आज यह जो भारत हम सभी के समक्ष है यह "गांधी का भारत" नहीं है, क्योंकि ये "गांधी के सपनों का भारत" हैं। महात्मा गांधी का ही सपना था "स्वच्छ भारत" हो। जिसे आधुनिक भारत के रूप में परिभाषित करते है। महात्मा गांधी, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता से पहले ही स्वच्छता की बात उठायी थी। साथ ही स्वच्छता को प्राथमिकता दी थी।


भारत वैदिक परम्पराओं और अध्यात्म की दुनिया में विश्वगुरू रहा है, जिस प्रकार स्वच्छ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है, ठीक उसी प्रकार स्वच्छ देश में स्वस्थ नागरिक निवास करता है। स्वच्छ भारत अभियान, स्वच्छ्ता ही सेवा आदि गतिविधियों को संचालित करने से सफाई होगी? क्या प्रशासन या किसी समाजसेवी संस्था द्वारा प्रेरित करने पर ही सफाई होगी? क्या आप अपने राष्ट्र को अपना घर जैसा नहीं समझते? क्यों? जहां इच्छा की वही गन्दी कर दी? क्या जब तक परिवार का मुखिया सफाई के लिए नहीं बोलेगा, सफाई नहीं होगी? वहाँ सफाई होगी, क्योंकि वो अपना परिवार है। क्यों नहीं हम राष्ट्र को अपना परिवार मान कर स्वच्छता की शपथ लेते। मात्र हमें मनोवृत्ति में परिवर्तन करने की आवश्यकता है।
स्वच्छता का दायित्व देशवासियों में स्वयं होना चाहिए। परन्तु यह हमारा दुर्भाग्य है कि आज़ादी से पहले व आज़ादी के बाद भी नागरिकों को राष्ट्र के महापुरुषों व प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छ्ता के लिए प्रेरित किया जाता रहा हैं। हम जानते है कि स्वच्छता और आधुनिकता एक-दूसरे के पूरक है, क्योंकि बिना स्वच्छता के आधुनिकता की कल्पना करना जटिल है। इसी कारण सभी भारतीयों को स्वच्छता का मूलमंत्र समझना होगा तभी भारत राष्ट्र "स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत" होगा।

कदम से कदम मिलाना है,
भारत को स्वच्छ बनाना है।

लेख सहयोगी एवं आभार - श्री हितेश मिश्रा

2 comments:

  1. कदम से कदम मिलाना है,
    भारत को स्वच्छ बनाना है।

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