साम्प्रदायिक दंगे, अश्लीलता, तनाव, अफवाह, व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप तथा नकारात्मक सूचनाओं को व्यक्त करना सोशल मीडिया का दायित्व बन गया है। ऐसी सूचनाएं व्यक्त करने से समाज पर दुष्परिणाम तो पड़ता ही है, साथ में जनमानस भी प्रभावित होता है। सूचना के इस दौर में सोशल मीडिया द्वारा साइबर अपराध को भी बढ़ावा मिल रहा है। इससे देश की आंतरिक सुरक्षा के खतरे की चुनौतियां बढ़ जाती हैं। सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरें प्रस्तुत करने वाले सोशल मीडिया उपभोक्ताओं को अपराधियों की श्रेणी में रख दंड देने का प्रावधान होना चाहिए ताकि सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव रोका जा सके। वर्तमान समय में जिस प्रकार मीडिया की संहिता लागू है उसी प्रकार सोशल मीडिया भी नियमन के दायरे में हो ताकि सोशल मीडिया द्वारा प्रस्तुत फर्जी विषयवस्तु पर अंकुश लग सके। कभी-कभी सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव इतना अधिक बढ़ जाता है कि सरकार को इस पर प्रतिबंध भी लगाना पड़ जाता है। अर्थहीन और निजता पर हमले की ख़बरें बढ़ जाने पर सरकार क्यों न स्थायी तौर से सोशल मीडिया को कानूनबद्ध कर नियंत्रण करे या निगरानी करे। आज सोशल मीडिया के दुरुप्रयोग को देखते हुए इस पर अंकुश लगाने की आवयश्कता है ताकि समाज में इसकी विश्वसनीयता बनी रहे।
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