कोरोना विषाणु के संकट से भारत ही नहीं पूरी दुनिया इस संकट से निपटने के लिए मजबूर हो गयी। साथ ही वहीं इस महामारी से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने दिन बारंबार साबुन से हाथ धोने के कड़े संकेत दिए, मगर समस्या तो यह है कि हाथ धोने के लिए जल की जरूरत पड़ना भी स्वाभाविक है। परन्तु यह सब तब हो रहा है जब आज पूरा विश्व 'जल दिवस' पर ही जल की कमी महसूस कर रहा हैं, क्योंकि दुनिया के लगभग 3 अरब लोगों के पास बारम्बार हाथ धोने हेतु पानी की उपलब्धता ही नहीं हैं।
साथ ही भारत के लिए सबसे गम्भीर समस्या तो यह है कि भारत की बस्तियों के निवासियों को हाथ धोने के लिए तो छोड़िये, यहां तो पीने के पानी लिए ही संघर्ष करना पड़ रहा हैं। इसीलिए आज भी हम पूर्ण रूप से इस महामारी से निपटने के लिए तैयार नहीं है। दूसरी तरफ जनता कर्फ्यू भी इससे निपटने के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, मगर इससे भी आवश्यक सरकार को जनता हेतु महामारी से निपटने के लिए तमाम सुविधाओं को भी प्राप्त करवाना होगा, जिससे भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग मुख्य तौर से वंचित हैं।
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